अब के बरस भेज – Ab Ke Baras Bhej – Asha Bhosle, Bandini
संगीत का युग और ‘अब के बरस भेज भैया को बाबुल’
भारतीय फिल्मी संगीत का स्वर्णिम युग सदा ही यादगार रहा है। इस युग में हमें अनेक अनमोल धुनें और गीत मिले, जिनमें ‘अब के बरस भेज भैया को बाबुल’ एक ऐसा गीत है जिसे सुनकर मन भावविभोर हो जाता है। यह गीत न केवल संगीत प्रेमियों के दिलों में बसा हुआ है, बल्कि इसकी भावनात्मक गहराई और संगीत की कोमलता भी इसे एक अमर गीत बना देती है।
गायिका आशा भोंसले की मधुर आवाज़
आशा भोंसले का नाम आते ही हम सबके कानों में वह सुरीली आवाज़ गूंजने लगती है जो संगीत को एक नई ऊंचाई पर ले जाती है। इस गीत में आशा भोंसले की आवाज़ ने दर्द और ममता को बेहद खूबसूरती से उकेरा है। उनकी आवाज़ में वह मिठास है जो सीधे दिल में उतर जाती है, और वह किसी भी गीत को जीवंत बना देती हैं।
एस.डी. बर्मन का संगीत
इस गीत की संगीत रचना एस.डी. बर्मन द्वारा की गई है। बर्मन दा का संगीत हमेशा से ही अनूठा रहा है। वे जानते थे कि गीत के बोलों के अनुसार संगीत की संरचना कैसे करनी है। इस गीत में उनकी धुनें बेहद सरल हैं, लेकिन उनकी सहजता ही इस गीत को खास बनाती है। बर्मन दा ने हमेशा अपने संगीत में भारतीय लोक संगीत और शास्त्रीय संगीत के तत्वों को समाहित किया, जिससे उनके गीत कालातीत बन जाते हैं।
शैलेन्द्र के बोल
गीत के बोल शैलेन्द्र द्वारा लिखे गए हैं, जिनकी सादगी और संवेदनशीलता ने इस गीत को और भी खास बना दिया है। शैलेन्द्र के शब्दों में एक ऐसी मिठास और दर्द की अभिव्यक्ति है जो सुनने वाले को गीत के साथ भावनात्मक रूप से जोड़ देती है। ‘अब के बरस भेज भैया को बाबुल’ गीत में शैलेन्द्र ने उस वेदना और आशा को उकेरा है, जो एक बेटी अपने मायके से विदा होने के बाद महसूस करती है।
गीत का सन्दर्भ और भावनात्मक जुड़ाव
यह गीत एक बेटी की विदाई की वेदना को प्रकट करता है, जिसमें वह अपने बाबुल से प्रार्थना करती है कि इस बार वह अपने भाई को उसे लेने के लिए भेजें। यह एक सामान्य भावना है जो भारतीय समाज में विदाई के समय आम होती है। खासकर भारतीय विवाह समारोहों में बेटियों के विदा होने के समय यह गीत आज भी गाया जाता है, क्योंकि यह गीत उनके दिल की बात को सामने लाता है।
लोकप्रियता और सांस्कृतिक महत्व
‘अब के बरस भेज भैया को बाबुल’ की लोकप्रियता आज भी उतनी ही है जितनी इसके रिलीज के समय थी। यह गीत न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में फैले भारतीय समुदाय के बीच प्रसिद्ध है। शादी-ब्याह और विदाई के मौकों पर यह गीत आज भी गूंजता है, और यह गीत हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
गीत का संगीतात्मक विश्लेषण
संगीत की दृष्टि से यह गीत एक सरल धुन पर आधारित है, जो सीधे दिल को छूने वाली है। इसमें बर्मन दा ने सितार और सरोद जैसे वाद्ययंत्रों का इस्तेमाल किया है, जो गीत में एक विशेष शास्त्रीयता और गहराई लाते हैं। बर्मन दा का संगीत निर्देशन और आशा भोंसले की सुरीली आवाज़ इस गीत को एक अविस्मरणीय अनुभव बना देते हैं।
आशा भोंसले और एस.डी. बर्मन की जोड़ी
आशा भोंसले और एस.डी. बर्मन की जोड़ी ने कई कालजयी गीतों को जन्म दिया है। बर्मन दा की संगीत की समझ और आशा जी की आवाज़ की विविधता ने भारतीय फिल्मी संगीत को कई अमर धुनें दी हैं। ‘अब के बरस भेज भैया को बाबुल’ भी इस संगीत की जादुई जोड़ी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
अब के बरस भेज – Ab Ke Baras Bhej Song Credits…
- Movie/Album: बंदिनी
- Year : 1963
- Music By: एस.डी.बर्मन
- Lyrics By: शैलेन्द्र
- Performed By: आशा भोंसले
अब के बरस भेज – Ab Ke Baras Bhej Lyrics in Hindi
अब के बरस भेज भैया को बाबुल
सावन ने लीजो बुलाय रे
लौटेंगी जब मेरे बचपन की सखियाँ
दीजो संदेसा भिजाय रे
अब के बरस भेज…
अम्बुवा तले फिर से झूले पड़ेंगे
रिमझिम पड़ेंगी फुहारें
लौटेंगी फिर तेरे आँगन में बाबुल
सावन की ठण्डी बहारें
छलके नयन मोरा, कसके रे जियरा
बचपन की जब याद आए रे
अब के बरस भेज…
बैरन जवानी ने छीने खिलौने
और मेरी गुड़िया चुराई
बाबुल की मैं तेरे नाज़ों की पाली
फिर क्यों हुई मैं पराई
बीते रे जुग कोई चिठिया न पाती
न कोई नैहर से आये रे
अब के बरस भेज…