कभी किसी को मुकम्मल

कभी किसी को मुकम्मल – Kabhi Kisi Ko Mukammal Bhupinder Singh & Asha Bhosle

“कभी किसी को मुकम्मल” : परिचय

फिल्म “आहिस्ता आहिस्ता” 1981 में आई थी और यह एक रोमांटिक ड्रामा है। इस फिल्म का एक प्रमुख गीत “कभी किसी को मुकम्मल” है, जिसने संगीत प्रेमियों के दिलों में एक खास जगह बनाई है। इस गीत को निदा फाज़ली ने लिखा है, खय्याम ने संगीत दिया है, और इसे भूपिंदर सिंह और आशा भोंसले ने गाया है।

गीत का परिचय

“कभी किसी को मुकम्मल” गीत के बोल जीवन की असलियत और भावनाओं को दर्शाते हैं। यह गीत उन इच्छाओं और हकीकतों की बात करता है जो अक्सर पूरी नहीं हो पातीं। निदा फाज़ली की लेखनी ने इस गीत को बेहद संवेदनशील और गहराई से भर दिया है।

संगीत की विशेषताएँ

खय्याम का संगीत इस गीत की जान है। उन्होंने इस गीत को एक ऐसी धुन में पिरोया है जो सीधे दिल तक पहुँचती है। संगीत की धुन इतनी सशक्त है कि यह श्रोताओं को गीत के हर शब्द के साथ जोड़ देती है।

गीत के बोल

निदा फाज़ली ने इस गीत के बोल इतने सशक्त और भावुकता से भरे लिखे हैं कि हर शब्द अपने आप में एक कहानी कहता है। “कभी किसी को मुकम्मल” गीत के बोल जीवन के अंधकारमय पहलुओं को उजागर करते हैं और एक उम्मीद की किरण दिखाते हैं।

गायकी की खूबसूरती

भूपिंदर सिंह और आशा भोंसले की आवाज़ इस गीत में एक विशेष आकर्षण जोड़ती है। उनकी गायकी की शैली और भावनात्मक प्रस्तुति ने इस गीत को और भी अधिक प्रभावशाली बना दिया है। दोनों गायकों ने अपनी गायकी के माध्यम से गीत के हर शब्द में जान डाल दी है।

गीत का फिल्म में महत्व

फिल्म “आहिस्ता आहिस्ता” की कहानी में “कभी किसी को मुकम्मल” गीत का एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह गीत फिल्म के मुख्य पात्रों की भावनाओं को व्यक्त करने में सहायक है और फिल्म की कथा को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गीत के माध्यम से फिल्म में एक गहरा भावनात्मक प्रभाव उत्पन्न होता है।

गीत का फिल्मांकन

गीत का फिल्मांकन भी बहुत ही प्रभावशाली है। इस गीत को फिल्म में बहुत ही सुंदरता से फिल्माया गया है, जिससे दर्शक गीत के साथ पूरी तरह से जुड़ जाते हैं। दृश्य और उनकी प्रस्तुति ने इस गीत को और भी अधिक आकर्षक बना दिया है।

गीत की लोकप्रियता

“कभी किसी को मुकम्मल” गीत ने अपने समय में बहुत लोकप्रियता हासिल की थी। यह गीत आज भी श्रोताओं के दिलों में बसा हुआ है और समय के साथ इसकी प्रासंगिकता बनी हुई है। इस गीत की भावनात्मक गहराई और मधुर धुन ने इसे अमर बना दिया है।

खय्याम का संगीत करियर

खय्याम भारतीय सिनेमा के एक प्रमुख संगीतकार हैं। उन्होंने अपने करियर में कई प्रमुख रचनाएँ की हैं, जिनमें “कभी किसी को मुकम्मल” भी शामिल है। उनका संगीत हमेशा से ही भावनात्मक और दिल को छू लेने वाला रहा है।

निदा फाज़ली की कविताएँ

निदा फाज़ली एक प्रसिद्ध कवि और गीतकार थे। उनके लिखे गीत और कविताएँ हमेशा से ही उनके अनुभव और भावनाओं का उत्कृष्ट उदाहरण रहे हैं। उन्होंने अपने जीवन में कई प्रमुख काव्य रचनाएँ की हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं।

भूपिंदर सिंह की गायकी

भूपिंदर सिंह एक मशहूर गायक हैं, जिन्होंने कई प्रमुख गीतों में अपनी आवाज़ दी है। उनकी गायकी की शैली और भावनात्मक प्रस्तुति ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई है। “कभी किसी को मुकम्मल” गीत में उनकी आवाज़ ने इस गीत को और भी अधिक प्रभावशाली बना दिया है।

आशा भोंसले की गायकी

आशा भोंसले भारतीय सिनेमा की एक प्रमुख गायिका हैं। उनकी आवाज़ में एक विशेष भावनात्मक गहराई है, जो उनके गाए गए गीतों को और भी अधिक प्रभावशाली बनाती है। “कभी किसी को मुकम्मल” गीत में उनकी आवाज़ ने इस गीत को एक विशेष ऊँचाई दी है।

फिल्म आहिस्ता आहिस्ता की समीक्षा

फिल्म “आहिस्ता आहिस्ता” की कहानी बहुत ही प्रभावशाली है। इस फिल्म के मुख्य पात्रों ने अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों में एक अलग छाप छोड़ी है। फिल्म की कथा और इसका प्रस्तुतीकरण इसे एक उत्कृष्ट फिल्म बनाता है।

“कभी किसी को मुकम्मल” गीत का समग्र महत्व बहुत ही गहरा है। यह गीत न केवल अपने समय का एक महत्वपूर्ण गीत है, बल्कि आज भी इसकी प्रासंगिकता बनी हुई है। इस गीत ने अपने भावनात्मक और मधुर धुन से श्रोताओं के दिलों में एक खास जगह बनाई है।

कभी किसी को मुकम्मल
कभी किसी को मुकम्मल

कभी किसी को मुकम्मल – Kabhi Kisi Ko Mukammal Song Details

  • Movie/Album: आहिस्ता आहिस्ता
  • Year : 1981
  • Music By: खय्याम
  • Lyrics By: निदा फाज़ली
  • Performed By: भूपिंदर सिंह, आशा भोंसले

कभी किसी को मुकम्मल – Kabhi Kisi Ko Mukammal Lyrics in Hindi

कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता
कहीं ज़मीं तो कहीं आसमाँ नहीं मिलता
कभी किसी को मुकम्मल…

जिसे भी देखिए वो अपने आप में गुम है
ज़ुबाँ मिली है मगर हमज़ुबाँ नहीं मिलता
कभी किसी को मुकम्मल…

बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले
ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता
कभी किसी को मुकम्मल…

तेरे जहान में ऐसा नहीं के प्यार ना हो
जहाँ उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता
कभी किसी को मुकम्मल…

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