किसी को दे के दिल

किसी को दे के दिल – Kisi Ko De Ke Dil – Chitra Singh, Ghulam Ali

गीत का परिचय

“किसी को दे के दिल” एक बेहद खूबसूरत और शायरी से सजा गीत है, जिसे मशहूर गायिका चित्रा सिंह ने अपनी सुरीली आवाज़ में प्रस्तुत किया है। यह गीत महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी पर आधारित है, और इसका संगीत जगजीत सिंह ने तैयार किया है। इस गीत में ग़ालिब की शायरी की गहराई और जगजीत सिंह के संगीत की मिठास का अद्भुत संगम है। यह गीत ग़ालिब की शायरी के उन भावनात्मक पहलुओं को छूता है जो प्रेम, दर्द, और ज़िंदगी के अनुभवों को बेहद संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत करते हैं।

गीत के बोल और उनकी गहराई

मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी का हर शब्द दर्द, प्रेम और जीवन के गहरे अनुभवों को उजागर करता है। “किसी को दे के दिल” उनकी इसी काव्य परंपरा का हिस्सा है, जिसमें इंसान के भीतर छिपी भावनाओं और उलझनों को शब्दों के ज़रिए सजीव किया गया है। इस गीत में प्रेम और विरह की भावना को बेहद खूबसूरत तरीके से व्यक्त किया गया है।

ग़ालिब की शायरी के अद्वितीय अंदाज़ और भावनाओं की गहराई ने इसे एक अमर रचना बना दिया है। इस गीत के बोल प्रेम के आदान-प्रदान और उसकी पीड़ा के बारे में बताते हैं, जिसमें व्यक्ति अपने दिल को किसी को देकर खुद को खोया हुआ महसूस करता है।

संगीत की अनूठी रचना

जगजीत सिंह का संगीत इस गीत की आत्मा है। उन्होंने इस शायरी को अपने संगीत के माध्यम से एक नई ऊंचाई दी है। संगीत में धीमी और मधुर धुनों का उपयोग किया गया है, जो गीत की भावनात्मक गहराई को और भी प्रभावी बनाते हैं।

जगजीत सिंह का संगीत श्रोताओं को एक ऐसी दुनिया में ले जाता है, जहाँ वे ग़ालिब की शायरी के साथ जुड़ते हैं और उसकी गहराई को महसूस करते हैं। संगीत का संयोजन बहुत ही सादगी से किया गया है, ताकि शायरी के शब्दों की ताकत और भावनाओं की गहराई बने रहें।

चित्रा सिंह की गायकी

चित्रा सिंह की आवाज़ में जो सादगी और भावनात्मक गहराई है, वह इस गीत को और भी असरदार बनाती है। चित्रा सिंह ने इस गीत को बेहद संजीदगी और दर्दभरी भावनाओं के साथ गाया है। उनकी गायकी में वह मिठास और संवेदनशीलता है जो ग़ालिब की शायरी के साथ पूरी तरह मेल खाती है।

चित्रा सिंह की आवाज़ श्रोताओं को सीधे दिल से जोड़ती है, और उनकी अद्वितीय गायकी इस गीत को एक कालजयी रचना बना देती है। उन्होंने इस गीत को इतने सरल और प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया है कि यह श्रोताओं के दिलों में गहरे तक उतर जाता है।

ग़ालिब की शायरी का महत्व

मिर्ज़ा ग़ालिब उर्दू शायरी के महान शायर माने जाते हैं, और उनकी शायरी की गहराई और संजीदगी आज भी दिलों को छूती है। “किसी को दे के दिल” ग़ालिब की उन रचनाओं में से एक है, जो प्रेम और जीवन के जटिल अनुभवों को बेहद सहज और मार्मिक तरीके से व्यक्त करती है।

ग़ालिब की शायरी में प्रेम सिर्फ एक भावना नहीं है, बल्कि वह एक गहरी समझ और जीवन के प्रति दृष्टिकोण को दर्शाता है। इस शायरी में ग़ालिब ने प्रेम के उस पहलू को दर्शाया है जो खुद को खो देने और दुख को आत्मसात करने का प्रतीक है।

निष्कर्ष

किसी को दे के दिल” एक ऐसा गीत है जो शायरी, संगीत, और गायकी के उत्कृष्ट संगम का उदाहरण है। चित्रा सिंह की भावनात्मक गायकी, जगजीत सिंह का संवेदनशील संगीत, और मिर्ज़ा ग़ालिब की गहरी शायरी ने इस गीत को एक अमर कृति बना दिया है। यह गीत प्रेम, दर्द और आत्मचिंतन की भावनाओं को इतनी खूबसूरती से व्यक्त करता है कि यह श्रोताओं के दिलों में हमेशा के लिए बसा रहता है।

किसी को दे के दिल

किसी को दे के दिल

किसी को दे के दिल – Kisi Ko De Ke Dil Song Details

Movie/Album: मिर्ज़ा ग़ालिब (टी वी सीरियल) (1988), ग़ालिबनामा (2012)
Music By: जगजीत सिंह, गुलाम अली
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: चित्रा सिंह, गुलाम अली

किसी को दे के दिल – Kisi Ko De Ke Dil Lyrics in Hindi

चित्रा सिंह
किसी को दे के दिल कोई
नवा संज-ए-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो
न हो जब दिल ही सीने में
तो फिर मुँह में ज़ुबाँ क्यूँ हो

वफ़ा कैसी, कहाँ का इश्क़
जब सर फोड़ना ठहरा
तो फिर, ऐ संग-दिल
तेरा ही संग-ए-आस्ताँ क्यूँ हो

यही है आज़माना, तो
सताना किसको कहते हैं
अदू के हो लिये जब तुम
तो मेरा इम्तिहाँ क्यूँ हो

क़फ़स में, मुझसे रूदाद-ए-चमन
कहते न डर, हमदम
गिरी है जिसपे कल बिजली
वो मेरा आशियाँ क्यूँ हो

किसी को दे के दिल – Kisi Ko De Ke Dil Song

ग़ुलाम अली
किसी को दे के दिल कोई नवा संज-ए-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो
न हो जब दिल ही सीने में तो फिर मुँह में ज़ुबाँ क्यूँ हो

वो अपनी खू न छोड़ेंगे, हम अपनी वज़ा क्यूँ बदले
सुबुक-सर बन के क्या पूछें कि हम से सरगिराँ क्यूँ हो
किसी को दे के…

किया ग़म-ख़्वार ने रुसवा, लगे आग इस मुहब्बत को
न लावे ताब जो ग़म की वो मेरा राज़-दाँ क्यूँ हो
किसी को दे के…

ये कह सकते हो हम दिल में नहीँ है, पर ये बतलाओ
कि जब दिल में तुम्हीं-तुम हो तो आँखों से निहाँ क्यूँ हो
न हो जब दिल ही…

कहा तुम ने कि क्यूँ हो ग़ैर के मिलने में रुसवाई
बजा कहते हो, सच कहते हो, फिर कहिओ कि हाँ, क्यूँ हो
किसी को दे के…

निकाला चाहता है काम क्या तानों से तू “ग़ालिब”
तेरे बे-मेहर कहने से वो तुझ पर मेहरबाँ क्यूँ हो
किसी को दे के…

किसी को दे के दिल – Kisi Ko De Ke Dil Song

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top