होरी खेलत नन्दलाल – Hori Khelat Nandlal – Md.Rafi
होरी खेलत नन्दलाल का परिचय
भक्ति रस और संगीत का संगम ‘होरी खेलत नन्दलाल’ गीत भारतीय संगीत की धरोहर में एक अनमोल रत्न है। इस गीत को अपनी आवाज़ से सजाया है सुप्रसिद्ध गायक मो. रफ़ी ने, और संगीत की दुनिया में अग्रणी पंडित रविशंकर ने इसका संगीत तैयार किया है। यह गीत भक्तिरस से ओतप्रोत है, जिसमें भगवान कृष्ण की होली खेलते समय की मनमोहक छवि को चित्रित किया गया है।
मो. रफ़ी: भारतीय संगीत के स्वरसम्राट
मो. रफ़ी का नाम भारतीय संगीत के स्वर्णिम इतिहास में अमर है। उनके गाए हुए भक्ति गीतों में अद्वितीय भावनात्मक गहराई होती है, जो श्रोताओं को अध्यात्मिक आनंद से सराबोर कर देती है। ‘होरी खेलत नन्दलाल’ गीत में मो. रफ़ी की आवाज़ न केवल गीत की आत्मा को छूती है, बल्कि श्रोताओं को भगवान कृष्ण की लीला में पूरी तरह से डूबने का अवसर भी प्रदान करती है।
मो. रफ़ी की गायकी का प्रभाव
इस गीत में रफ़ी साहब की अद्वितीय गायकी की छाप साफ़ नज़र आती है। उनके स्वरों में एक दिव्यता है, जो भगवान कृष्ण के बाल रूप को और भी मनोहारी बना देती है। रफ़ी की अद्वितीय आवाज़ ने इस गीत को जीवंत कर दिया है। उनके स्वरों की मधुरता और शुद्धता श्रोताओं को गीत के हर शब्द के साथ जोड़ती है।
प. रविशंकर का संगीत: भारतीयता का प्रतीक
पंडित रविशंकर को भारतीय शास्त्रीय संगीत का मर्मज्ञ माना जाता है। ‘होरी खेलत नन्दलाल’ में उन्होंने शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ भक्ति संगीत का ऐसा मिश्रण किया है, जो श्रोताओं के दिलों को छू जाता है। उनका संगीत इस गीत में एक आध्यात्मिक आभा भर देता है, जो भगवान कृष्ण की लीला को और भी मनोरम बना देता है।
संगीत की संरचना
पंडित रविशंकर ने इस गीत में शास्त्रीय रागों का अद्भुत प्रयोग किया है। उनका संगीत एक अद्भुत संतुलन बनाए रखता है, जो गीत को श्रोताओं के लिए एक अलग अनुभव में बदल देता है। शास्त्रीय संगीत और भक्ति रस का यह संगम गीत को एक अलग ही आयाम प्रदान करता है।
अनजान के बोल: भक्ति और काव्य की गहराई
इस गीत के बोल मशहूर गीतकार अनजान ने लिखे हैं, जो भक्ति और काव्य की गहराई में डूबे हुए हैं। उनके द्वारा रचित शब्द भगवान कृष्ण के होली खेलते समय के दृश्य को इतनी कुशलता से प्रस्तुत करते हैं कि श्रोता स्वयं को उस लीला का हिस्सा मानने लगते हैं।
भक्ति रस से ओतप्रोत गीत के बोल
‘होरी खेलत नन्दलाल’ गीत के शब्दों में अनजान ने भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं को चित्रित किया है। उनकी लेखनी में भक्ति, प्रेम, और रंगों की छटा का समावेश है, जो श्रोताओं को इस गीत के साथ भावनात्मक रूप से जोड़ता है। हर शब्द में भक्ति की सजीवता और कृष्ण के प्रति असीम प्रेम छलकता है।
गीत की भक्ति धारा और इसकी महत्ता
यह गीत केवल संगीत और गायकी का संगम नहीं है, बल्कि यह भक्ति और अध्यात्म की एक अमूल्य धारा भी है। ‘होरी खेलत नन्दलाल’ श्रोताओं को भगवान के साथ आत्मिक संबंध स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है। इस गीत में न केवल धार्मिकता है, बल्कि यह गीत भारतीय संस्कृति की आत्मा का भी प्रतीक है।
निष्कर्ष
‘होरी खेलत नन्दलाल’ गीत न केवल मो. रफ़ी की आवाज़ और पंडित रविशंकर के संगीत का अद्भुत मेल है, बल्कि यह गीत भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव भी है। अनजान के गहरे और भावपूर्ण बोल इस गीत को और भी जीवंत बना देते हैं।
होरी खेलत नन्दलाल – Hori Khelat Nandlal, Song Details…
- Movie/Album: गोदान
- Year : 1963
- Music By: प.रविशंकर
- Lyrics By: अनजान
- Performed By: मो.रफ़ी
होरी खेलत नन्दलाल – Hori Khelat Nandlal Lyrics in Hindi
होरी खेलत नन्दलाल
बिरज में होरी खेलत नन्दलाल
ग्वाल बाल संग रास रचाए
नटखट नन्द-गोपाल
बिरज में…
बाजत ढोलक, झांज, मंजीरा
गावत सब मिल आज कबीरा
नाचत दे-दे ताल
बिरज में होरी खेलत नन्दलाल…
भर भर मारे रंग पिचकारी
रंग गए बृज के नर नारी
उड़त अबीर गुलाल
बिरज में होरी खेलत नन्दलाल…
ऐसी होरी खेली कन्हाई
जमुना तट पर धूम मचाई
रास रचें नन्दलाल
बिरज में होरी खेलत नन्दलाल…