जब वो मेरे क़रीब से – Jab Woh Mere Kareeb Se – Hariharan
हरिहरन की ग़ज़ल: जब वो मेरे क़रीब से हॅंस कर गुज़र गए
हरिहरन, भारतीय संगीत जगत के एक प्रमुख ग़ज़ल गायक हैं, जिनकी गायकी में एक विशेष प्रकार की मधुरता और गहराई है। उनकी गाई हुई ग़ज़लें केवल संगीत के श्रोताओं के दिलों में बसती ही नहीं हैं, बल्कि उन्हें एक अलग ही संसार में ले जाती हैं। “जब वो मेरे क़रीब से हॅंस कर गुज़र गए” भी ऐसी ही एक ग़ज़ल है, जिसने सुनने वालों के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ी है।
गीत के बोलों की गहराई और संवेदना
मुशीर झुंझानवी द्वारा लिखी गई इस ग़ज़ल के बोल बहुत ही गहरे और संवेदनशील हैं। “जब वो मेरे क़रीब से हॅंस कर गुज़र गए” में एक अजीब सी कशिश और दर्द छुपा हुआ है। यह ग़ज़ल एक ऐसे व्यक्ति की कहानी कहती है जो अपने प्रेमी से मिलने की उम्मीद में है, लेकिन उसके दिल में छुपी हुई भावनाओं को उसके प्रेमी ने महसूस नहीं किया।
प्रमुख पंक्तियों का विश्लेषण
“जब वो मेरे क़रीब से हॅंस कर गुज़र गए” – इस पंक्ति में वो सब कुछ छुपा हुआ है, जो एक प्रेमी के दिल में हो सकता है। जब कोई अपने प्रियजन को मुस्कुराते हुए देखता है और उसे लगता है कि उसकी सारी दुनिया वही मुस्कान है, लेकिन जब वही प्रियजन बिना कुछ कहे, बिना किसी संकेत के, बस यूँ ही निकल जाता है, तो यह एक अजीब सी पीड़ा देता है।
हरिहरन की गायकी का जादू
हरिहरन की आवाज़ में एक विशेष प्रकार की कोमलता और मिठास है, जो इस ग़ज़ल को और भी मार्मिक बनाती है। उन्होंने इस ग़ज़ल को ऐसे गाया है कि हर शब्द में एक अलग ही जज़्बात महसूस होते हैं। उनके द्वारा गाए गए ऊंचे और नीचे सुरों का उतार-चढ़ाव ग़ज़ल में छुपे हुए दर्द को और अधिक उभारता है।
संगीत संयोजन: जॉली मुखर्जी का योगदान
जॉली मुखर्जी ने इस ग़ज़ल के संगीत को बहुत ही सुंदर तरीके से सजाया है। संगीत में इस्तेमाल किए गए वाद्य यंत्रों की सटीकता और उनकी ध्वनि का संयोजन ग़ज़ल की भावनाओं को और भी गहरा बना देता है। खासकर तबला और सिटार का उपयोग ग़ज़ल के बोलों के साथ तालमेल बैठाते हुए एक अनूठी धुन तैयार करता है।
संगीत और भावनाओं का मेल
इस ग़ज़ल में संगीत और भावनाओं का जो मेल है, वह एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है। संगीत की हर धुन और हर सुर मानो बोलों के साथ संवाद कर रहा हो, जिससे ग़ज़ल की गहराई और अधिक महसूस होती है।
निष्कर्ष
“जब वो मेरे क़रीब से हॅंस कर गुज़र गए” केवल एक ग़ज़ल नहीं है, यह एक अनुभव है। हरिहरन की मधुर आवाज़, मुशीर झुंझानवी के गहरे बोल और जॉली मुखर्जी के अद्वितीय संगीत संयोजन ने इस ग़ज़ल को एक अनमोल कृति बना दिया है।
जब वो मेरे क़रीब से – Jab Woh Mere Kareeb Se Song Details…
- Movie/Album: पैग़ाम
- Year : 1997
- Music By: जॉली मुखर्जी
- Lyrics By: मुशीर झुंझानवी
- Performed By: हरिहरन
जब वो मेरे क़रीब से – Jab Woh Mere Kareeb Se Song Lyrics
जब वो मेरे क़रीब से हॅंस कर गुज़र गए
कुछ ख़ास दोस्तों के भी चेहरे उतर गए
जब वो मेरे क़रीब से…
अफ़सोस डूबने की तमन्ना ही रह गई
तूफ़ान ज़िन्दगी में जो आए गुज़र गए
कुछ ख़ास…
हालाँकि उनको देख कर पलटी ही थी नज़र
महसूस ये हुआ के ज़माने गुज़र गए
कुछ ख़ास…
कोई हमें बताए के हम क्या जवाब दें
मंज़िल ये पूछती है के साथी किधर गए
कुछ ख़ास…