घुंघरू की तरह – Ghunghroo Ki Tarah (Kishore Kumar, Chor Machaye Shor)
Ghunghroo Ki Tarah इस गाने में एक व्यक्ति की भावनाओं और जीवन की कठिनाईयों को प्रतीकात्मक रूप में घुंघरू के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। गाना यह दिखाता है कि जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव और रिश्तों में बदलती परिस्थितियों को कैसे सहा जाता है।
घुंघरू की तरह – Ghunghroo Ki Tarah Song credits
- Movie/Album: चोर मचाए शोर
- Year : 1974
- Music : रविन्द्र जैन
- Lyrics : रविन्द्र जैन
- Singer : किशोर कुमार
घुंघरू की तरह – Ghunghroo Ki Tarah Lyrics
घुंघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं
कभी इस पग में, कभी उस पग में
बंधता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह…
कभी टूट गया, कभी तोड़ा गया
सौ बार मुझे फिर जोड़ा गया
यूँ ही लुट-लुट के, और मिट-मिट के
बनता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह…
मैं करता रहा औरों की कही
मेरी बात मेरे मन ही में रही
कभी मंदिर में, कभी महफ़िल में
सजता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह…
अपनों में रहे या गैरों में
घुंघरू की जगह तो है पैरों में
फिर कैसा गिला जग से जो मिला
सहता ही रहा हूँ मैं
घुंघरू की तरह…