आफरीं आफरीं …

आफरीं आफरीं – Aafreen Aafreen (Nusrat Fateh Ali Khan, Sangam)

गीत का परिचय

“आफरीं आफरीं” एक ऐसा गीत है, जिसे सुनते ही श्रोताओं की आत्मा एक अद्भुत अनुभव से भर जाती है। यह सूफियाना गीत नुसरत फतेह अली खान की अद्वितीय और दिल को छूने वाली आवाज़ में गाया गया है। गीत के बोल महान गीतकार जावेद अख्तर द्वारा लिखे गए हैं, जो प्रेम और तारीफ का एक गहरा और अर्थपूर्ण चित्रण करते हैं। “आफरीं आफरीं” सूफी संगीत की उस विधा का हिस्सा है, जो इंसान और ईश्वर के बीच के प्रेम और भक्ति को दर्शाती है।

गीत के बोल और उनका अर्थ

“आफरीं आफरीं” का शाब्दिक अर्थ होता है ‘वाह-वाह’ या ‘तारीफ’। इस गीत में प्रेमी की सुंदरता और उसकी अच्छाईयों की तारीफ की गई है। जावेद अख्तर ने अपने लफ्ज़ों से उस गहरे प्रेम को व्यक्त किया है, जो ईश्वर और उसकी रचना के प्रति होता है।

गीत के बोलों में एक प्रेमी के रूप में ईश्वर की कल्पना की गई है, और उसकी हर रचना को एक चमत्कार के रूप में देखा गया है। यह गीत आत्मिक प्रेम का प्रतीक है, जो किसी भौतिक रिश्ते से परे होता है। इसके शब्द एक साधक की ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण और भक्ति को प्रकट करते हैं।

नुसरत फतेह अली खान की सूफियाना गायकी

नुसरत फतेह अली खान का नाम सूफी संगीत के इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है। उनकी आवाज़ में वह गहराई और रूहानियत है, जो किसी भी गीत को सीधे श्रोताओं की आत्मा तक पहुँचा देती है। “आफरीं आफरीं” में नुसरत की आवाज़ का जादू प्रेम, भक्ति, और आध्यात्मिकता को एक साथ बुनता है।

नुसरत फतेह अली खान ने इस गीत में अपनी बेमिसाल गायकी के जरिए उन भावनाओं को प्रस्तुत किया है, जिन्हें शब्दों में व्यक्त करना कठिन होता है। उनकी गायकी में जो आध्यात्मिक गहराई है, वह इस गीत को एक अलग ही स्तर पर ले जाती है। नुसरत की यह गायकी सूफी संगीत की आत्मा को जीवंत करती है और प्रेम को ईश्वर की पूजा के रूप में प्रस्तुत करती है।

गीत के बोल और उनका आध्यात्मिक महत्व

जावेद अख्तर ने “आफरीं आफरीं” के बोलों में प्रेम की उस गहराई को व्यक्त किया है, जो केवल महसूस की जा सकती है। यह गीत सिर्फ तारीफ नहीं, बल्कि एक भक्त का अपने ईश्वर के प्रति गहरा समर्पण है। गीत में प्रेमी की सुंदरता की तारीफ करते हुए उसे ईश्वर की एक अद्भुत रचना के रूप में देखा गया है।

यह गीत आध्यात्मिकता और प्रेम की उस ऊँचाई तक पहुँचता है, जहाँ इंसान का प्रेम खुदा से मिल जाता है। इसके बोल और नुसरत फतेह अली खान की आवाज़ दोनों ही श्रोताओं को एक रूहानी सफर पर ले जाते हैं।

संगीत का जादू

इस गीत का संगीत पारंपरिक सूफी संगीत पर आधारित है, जिसमें तबला, हारमोनियम, और ढोलक का प्रयोग किया गया है। संगीत की ताल और धुनें गीत के बोलों के साथ समर्पण और भक्ति की भावना को और भी प्रभावी बनाती हैं। संगीत की सरलता और गहराई इस गीत को एक शांतिपूर्ण और रूहानी अनुभव में बदल देती है।

निष्कर्ष

आफरीं आफरीं” सूफी संगीत की एक बेहतरीन मिसाल है, जिसमें प्रेम, तारीफ, और भक्ति की गहरी भावनाएँ निहित हैं। नुसरत फतेह अली खान की रूहानी गायकी और जावेद अख्तर के खूबसूरत बोल इस गीत को एक अमर रचना बनाते हैं। यह गीत सिर्फ सुनने के लिए नहीं है, बल्कि यह श्रोताओं को एक आध्यात्मिक अनुभव कराता है, जो उन्हें ईश्वर के करीब ले जाता है।

आफरीं आफरीं
आफरीं आफरीं

आफरीं आफरीं – Aafreen Aafreen (Nusrat Fateh Ali Khan, Sangam) | Song Details…

 

  • Movie/Album: संगम (1996)
  • Music By: नुसरत फ़तेह अली खान
  • Lyrics By: जावेद अख्तर
  • Performed By: नुसरत फ़तेह अली खान

आफरीं आफरीं – Aafreen Aafreen (Nusrat Fateh Ali Khan, Sangam) | Song Lyrics

उसने जाना की तारीफ़ मुमकिन नहीं
आफरीं-आफरीं…
तू भी देखे अगर, तो कहे हमनशीं
आफरीं-आफरीं…
हुस्न-ए-जाना…

ऐसा देखा नहीं खूबसूरत कोई
जिस्म जैसे अजंता की मूरत कोई
जिस्म जैसे निगाहों पे जादू कोई
जिस्म नगमा कोई, जिस्म खुशबू कोई
जिस्म जैसे मचलती हुई रागिनी
जिस्म जैसे महकती हुई चांदनी
जिस्म जैसे के खिलता हुआ इक चमन
जिस्म जैसे के सूरज की पहली किरण
जिस्म तरशा हुआ दिलकश-ओ-दिलनशीं
संदली-संदली, मरमरी-मरमरी
आफरीं-आफरीं…

चेहरा इक फूल की तरह शादाब है
चेहरा उसका है या कोई महताब है
चेहरा जैसे ग़ज़ल, चेहरा जाने ग़ज़ल
चेहरा जैसे कली, चेहरा जैसे कँवल
चेहरा जैसे तसव्वुर भी, तस्वीर भी
चेहरा इक ख्वाब भी, चेहरा ताबीर भी
चेहरा कोई अलिफ़ लैल की दास्ताँ
चेहरा इक पल यकीं, चेहरा इक पल गुमां
चेहरा जैसा के चेहरा कहीं भी नहीं
माहरू-माहरू, महजबीं-महजबीं
आफरीन आफरीन…

आँखें देखी तो मैं देखता रह गया
जाम दो और दोनों ही दो आतशां
आँखें या मैकदे की ये दो बाब हैं
आँखें इनको कहूँ, या कहूँ ख्वाब हैं
आँखें नीचे हुईं तो हया बन गयीं
आँखें ऊँची हुईं तो दुआ बन गयीं
आँखें उठाकर झुकीं तो अदा बन गयीं
आँखें झुकाकर उठीं तो कदा बन गयीं
आँखें जिनमें है क़ैद आसमां और ज़मीं
नरगिसी-नरगिसी, सुरमई-सुरमई
आफरीन-आफरीन…

ज़ुल्फ़-ए-जाना की भी लम्बी है दास्ताँ
ज़ुल्फ़ की मेरे दिल पर है परछाईयाँ
ज़ुल्फ़ जैसे के उमड़ी हुई हो घटा
ज़ुल्फ़ जैसे के हो कोई काली बला
ज़ुल्फ़ उलझे तो दुनिया परेशान हो
ज़ुल्फ़ सुलझे तो ये दीद आसान हो
ज़ुल्फ़ बिखरे सियाह रात छाने लगी
ज़ुल्फ़ लहराए तो रात जाने लगी
ज़ुल्फ़ ज़ंजीर है, फिर भी कितनी हसीं
रेशमी-रेशमी, अम्बरी-अम्बरी
आफरीं-आफरीं…

 

आफरीं आफरीं – Aafreen Aafreen (Nusrat Fateh Ali Khan, Sangam) Video Song…

 

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