नाम गुम जाएगा – Naam Gum Jaayega – Lata Mangeshkar, Bhupinder Singh
परिचय
1977 में रिलीज़ हुई फिल्म “किनारा” का गीत “नाम गुम जाएगा” एक ऐसा रत्न है जो समय के साथ और भी चमकता गया है। यह गीत केवल एक संगीत टुकड़ा नहीं है, बल्कि एक भावनात्मक यात्रा है, जिसे आर.डी. बर्मन की धुनों, गुलज़ार के शब्दों और लता मंगेशकर और भूपिंदर सिंह की मधुर आवाज़ों ने अमर बना दिया है।
फिल्म किनारा की पृष्ठभूमि
“किनारा” एक ड्रामा फिल्म है जिसे गुलज़ार ने निर्देशित किया था। फिल्म की कहानी प्रेम, संघर्ष और आत्मखोज के इर्द-गिर्द घूमती है। फिल्म में मुख्य भूमिका में हेमा मालिनी, जीतेन्द्र और धर्मेंद्र थे। इस फिल्म की पटकथा और संवाद गुलज़ार ने ही लिखे थे, जो उनकी गहरी और भावनात्मक लेखनी का प्रमाण है।
गीत के संगीतकार: आर.डी. बर्मन
आर.डी. बर्मन का संगीत जीवन
आर.डी. बर्मन, जिन्हें प्यार से ‘पंचम’ भी कहा जाता है, भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिभाशाली संगीतकारों में से एक थे। उनका संगीत हमेशा से ही नवीनता और जोश से भरा हुआ था।
किनारा में बर्मन का योगदान
फिल्म किनारा के संगीत ने आर.डी. बर्मन के करियर में एक नया मुकाम स्थापित किया। उन्होंने इस फिल्म के गानों में एक नई ताजगी और गहराई लाई, जिससे हर गाना एक मास्टरपीस बन गया।
गीतकार: गुलज़ार
गुलज़ार की कविताई और गीत लेखन
गुलज़ार एक मशहूर कवि, गीतकार और फिल्म निर्माता हैं। उनकी लेखनी में एक अद्भुत संवेदनशीलता और गहराई है।
नाम गुम जाएगा के बोल
“नाम गुम जाएगा” के बोल गुलज़ार की कलम से निकले हैं, जो सीधे दिल को छू जाते हैं। इस गाने के शब्द जीवन की अस्थायीता और आत्मा की अनश्वरता को खूबसूरती से व्यक्त करते हैं।
गायक: लता मंगेशकर और भूपिंदर सिंह
लता मंगेशकर का संगीत सफर
लता मंगेशकर, जिन्हें ‘सुर कोकिला’ कहा जाता है, ने अपने जीवन में अनेकों सुपरहिट गाने गाए हैं। उनकी आवाज़ में एक जादू है जो हर दिल को मोह लेता है।
भूपिंदर सिंह की गायकी
भूपिंदर सिंह की आवाज़ में एक अलग ही गहराई और मर्म है। उन्होंने इस गाने में अपनी आवाज़ से एक अलग ही माहौल बनाया है।
नाम गुम जाएगा – Naam Gum Jaayega song Details
- Movie/Album: किनारा
- Year : 1977
- Music By: आर.डी.बर्मन
- Lyrics By: गुलज़ार
- Performed By: लता मंगेशकर, भूपिंदर सिंह
नाम गुम जाएगा – Naam Gum Jaayega Lyrics in Hindi
नाम गुम जाएगा
चेहरा ये बदल जाएगा
मेरी आवाज़ ही पहचान है
गर याद रहे
वक्त के सितम कम हसीं नहीं
आज है यहाँ कल कहीं नहीं
वक्त से परे अगर मिल गए कहीं
मेरी आवाज़ ही…
नाम गुम जाएगा…
जो गुज़र गई कल की बात थी
उम्र तो नहीं एक रात थी
रात का सिरा अगर फिर मिले कहीं
मेरी आवाज़ ही…
नाम गुम जाएगा…
दिन ढले जहाँ रात पास हो
ज़िन्दगी की लौ ऊँची कर चलो
याद आए गर कभी जी उदास हो
मेरी आवाज़ ही…
नाम गुम जाएगा…