हर घड़ी ढल रही – Har Ghadi Dhal Rahi – Amit Kumar
प्रस्तावना
दोस्तों, कभी-कभी कुछ गाने ऐसे होते हैं जो सीधा दिल को छू जाते हैं। “हर घड़ी ढल रही” ऐसा ही एक गीत है जो फिल्म सारांश (1984) से है। इस गाने में जो भावनाएं हैं, वो किसी को भी सोचने पर मजबूर कर देती हैं। आज हम इसी गाने के बारे में विस्तार से जानेंगे।
फिल्म सारांश 1984 का परिचय
फिल्म ‘सारांश’ 1984 में रिलीज़ हुई थी और इसे महेश भट्ट ने डायरेक्ट किया था। फिल्म की कहानी एक बूढ़े दंपति की है, जो अपने जवान बेटे की मौत के बाद जिंदगी जीने की कोशिश कर रहे हैं। अनुपम खेर और रोहिणी हत्तंगडी ने इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई थी।
गीत ‘हर घड़ी ढल रही’ का महत्व
इस गाने को फिल्म की आत्मा कहा जा सकता है। गाने में जीवन के अस्थाईपन और समय के प्रवाह को बड़ी खूबसूरती से दर्शाया गया है। ये गाना फिल्म में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आता है और दर्शकों को गहरे भावों में डूबो देता है।
इस गाने को संगीतबद्ध किया है अजित वर्मन ने और इसे गाया है अमित कुमार ने। दोनों ने मिलकर इस गाने को अमर बना दिया है।
हर घड़ी ढल रही – Har Ghadi Dhal Rahi, Song Details…
- Movie/Album: सारांश
- Year : 1984
- Music By: अजीत वर्मन
- Lyrics By: वसन्त देव
- Performed By: अमित कुमार
हर घड़ी ढल रही – Har Ghadi Dhal Rahi Lyrics in Hindi
हर घड़ी ढल रही, शाम है ज़िंदगी
दर्द का दूसरा, नाम है ज़िंदगी
हर घड़ी ढल रही…
आसमाँ है वही, और वही है ज़मीं
है मकाम गैर का, गैर है या हमीं
अजनबी आँख सी आज है ज़िन्दगी
दर्द का दूसरा…
क्यों खड़े राह में, राह भी सो गई
अपनी तो छाँव भी अपने से खो गई
भटके हुए पंछी की रात है ज़िन्दगी
दर्द का दूसरा…