रोज़ रोज़ आँखों तले – Roz Roz Aankhon Tale – Asha Bhosle & Amit Kumar)
रोज़ रोज़ आँखों तले: एक परिचय
1986 की फिल्म ‘जीवा’ का गाना “रोज़ रोज़ आँखों तले” एक ऐसा गीत है जो आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है। इस गीत के पीछे की कहानियाँ, इसके बोल, संगीत और इसके प्रभाव की चर्चा करना एक रोमांचक अनुभव है।
‘जीवा’ 1986 में रिलीज़ हुई एक बॉलीवुड फिल्म है, जिसमें संजय दत्त और मन्दाकिनी मुख्य भूमिकाओं में थे। फिल्म का निर्देशन राज एन. सिप्पी ने किया था और यह एक रोमांटिक थ्रिलर थी।
“रोज़ रोज़ आँखों तले” के बोल गुलज़ार ने लिखे थे। उनकी शायरी और लेखनी ने इस गीत को अमर बना दिया। गुलज़ार की शायरी में एक गहरा अर्थ और सादगी थी, जिसने इस गीत को सबका पसंदीदा बना दिया। इस गीत का संगीत आर.डी. बर्मन ने दिया था, जिन्होंने बॉलीवुड को कई सदाबहार गाने दिए हैं।
वाकई, यह गाना सुनकर एक अलग ही दुनिया में खो जाने का एहसास होता है। क्या आपने इस गाने को सुना है? अगर नहीं, तो एक बार जरूर सुनें। यह आपके दिल को सुकून देगा और आपको एक पुरानी यादों की दुनिया में ले जाएगा।
रोज़ रोज़ आँखों तले – Roz Roz Aankhon Tale , Song Details….
- Movie/Album: जीवा
- Year : 1986
- Music By: आर.डी.बर्मन
- Lyrics By: गुलज़ार
- Performed By: आशा भोंसले, अमित कुमार
रोज़ रोज़ आँखों तले – Roz Roz Aankhon Tale -Asha Bhosle & Amit Kumar
रोज़ रोज़ आँखों तले एक ही सपना चले
रात भर काजल जले, आँख में जिस तरह
ख़्वाब का दिया जले
जबसे तुम्हारी नाम की मिसरी होंठ लगायी है
मीठा सा ग़म है, और मीठी सी तन्हाई है
रोज़ रोज़ आँखों तले…
छोटी सी दिल की उलझन है, ये सुलझा दो तुम
जीना तो सीखा है मरके, मरना सिखा दो तुम
रोज़ रोज़ आँखों तले…
आँखों पर कुछ ऐसे तुमने ज़ुल्फ़ गिरा दी है
बेचारे से कुछ ख़्वाबों की नींद उड़ा दी है
रोज़ रोज़ आँखों तले…