ये दिल ये पागल दिल मेरा

ये दिल ये पागल दिल मेरा – Ye Dil Ye Pagal Dil Mera – Ghulam Ali

ये दिल ये पागल दिल मेरा – एक अमर ग़ज़ल

ग़ज़ल की दुनिया में ग़ुलाम अली का नाम बड़े अदब और एहतराम के साथ लिया जाता है। उनकी ग़ज़लों में वह जादू है जो हर दिल को छू जाता है। “ये दिल ये पागल दिल मेरा” उनकी एक ऐसी ही ग़ज़ल है, जो मोहसिन नक़वी की कलम से निकली है। इस ग़ज़ल के हर लफ्ज़ में दर्द, मोहब्बत और एहसासात की गहराई है।

ग़ज़ल का परिचय

“ये दिल ये पागल दिल मेरा” ग़ज़ल की बुनियादी जानकारी और उसकी अहमियत को समझने के लिए सबसे पहले हमें इसके रचनाकारों को समझना होगा।

ग़ुलाम अली: ग़ज़ल की रूह

ग़ुलाम अली का जन्म पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ। उन्होंने अपनी तालीम पाटियाला घराने के उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली खान से प्राप्त की। ग़ुलाम अली की आवाज़ में एक खास किस्म का खिंचाव और गहराई है, जो उनके ग़ज़लों को यादगार बनाती है।

मोहसिन नक़वी: शायरी का जादूगर

मोहसिन नक़वी एक मशहूर उर्दू शायर थे। उनकी शायरी में मोहब्बत, जुदाई और जिंदगी के विभिन्न रंग साफ झलकते हैं। “ये दिल ये पागल दिल मेरा” उनकी सबसे बेहतरीन शायरी में से एक है।

ग़ज़ल के बोल और उनके मायने

इस ग़ज़ल के हर शेर में एक खास किस्म की मासूमियत और गहराई है। आईए, इस ग़ज़ल के कुछ चुनिंदा शेरों पर गौर करें:

ये दिल ये पागल दिल मेरा, क्यों बुझ गया आवारा नशे में

इस शेर में दिल को एक आवारा की तरह बताया गया है, जो मोहब्बत के नशे में बुझ गया है। ये शेर दिल की बेबसी और दर्द को बयां करता है

इस दिल को ये क्या हो गया, आवारा नशे में खो गया

यहाँ पर शायर ने दिल की हालत को ऐसे पेश किया है जैसे वह किसी भटके हुए मुसाफिर की तरह नशे में खो गया हो।

ग़ज़ल का संगीत

इस ग़ज़ल का संगीत भी उतना ही खास है जितना इसके बोल। ग़ुलाम अली ने अपने सुरों से इस ग़ज़ल को और भी दिलकश बना दिया है। उनके संगीत में शांति, सुकून और दर्द का अनूठा मेल है।

संगीत और स्वर संयोजन

ग़ुलाम अली की आवाज़ और उनकी सुरबद्धता इस ग़ज़ल को एक अलग ही मकाम पर ले जाती है। उनके गायकी के अंदाज़ में एक अलग ही शान और ठहराव है, जो सुनने वालों को बांध लेता है।

ग़ज़ल का प्रभाव और लोकप्रियता

“ये दिल ये पागल दिल मेरा” ने ग़ज़ल प्रेमियों के दिलों में खास जगह बना ली है। इसकी लोकप्रियता की वजह है इसके बोल, संगीत और ग़ुलाम अली की गायकी का बेमिसाल संगम।

ग़ज़ल के दीवाने

इस ग़ज़ल को सुनने वाले हर शख्स की अपनी एक खास याद या एहसास जुड़ा होता है। यह ग़ज़ल महज एक गीत नहीं, बल्कि एक एहसास है, जो हर दिल को छू जाता है।

निष्कर्ष

ग़ुलाम अली की ग़ज़ल “ये दिल ये पागल दिल मेरा” एक ऐसी धरोहर है जो हमेशा यादगार रहेगी। मोहसिन नक़वी के लफ्ज़ों और ग़ुलाम अली की आवाज़ का यह संगम ग़ज़ल प्रेमियों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेगा।

ये दिल ये पागल दिल मेरा

ये दिल ये पागल दिल मेरा

ये दिल ये पागल दिल मेरा – Ye Dil Ye Pagal Dil Mera Song Details

  • Movie/Album: माटी मांगे खून
  • Song Name : Yeh Dil Ye Pagal Dil Mera (Awargi)
  • Singer : Ghulam Ali
  • Music : Ghulam Ali
  • Lyrics : Mohsin Naqvi

ये दिल ये पागल दिल मेरा – Ye Dil Ye Pagal Dil Mera Lyrics in Hindi

ये दिल ये पागल दिल मेरा
क्यों बुझ गया आवारगी
इस दश्त में इक शहर था
वो क्या हुआ
आवारगी

कल शब मुझे बेशक्ल की
आवाज़ ने चौंका दिया
मैंने कहा तू कौन है
उसने कहा आवारगी
ये दिल ये पागल…

ये दर्द की तन्हाईयाँ
ये दश्त का वीरान सफर
हम लोग तो उकता गए
अपनी सुना आवारगी
ये दिल ये पागल…

इक अजनबी झोंके ने जब
पूछा मेरे गम का सबब
सहरा की भीगी रेत पर
मैंने लिखा आवारगी
ये दिल ये पागल…

कल रात तनहा चाँद को
देखा था मैंने ख्वाब में
मोहसिन मुझऐ रास आएगी
शायद सदा आवारगी
ये दिल ये पागल…

ये दिल ये पागल दिल मेरा – Ye Dil Ye Pagal Dil Mera Song

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