शहर दर शहर – Shahar Dar Shahar – Hariharan
गीत का परिचय
“शहर दर शहर” एक ऐसा गीत है, जो श्रोताओं को अपनी अनूठी ध्वनि और भावपूर्ण प्रस्तुतियों से मोहित कर देता है। इस गीत को गाया है प्रसिद्ध गायक हरिहरन और तबले के महान उस्ताद ज़ाकिर हुसैन ने। गीत का संगीत तैयार किया है जॉली मुखर्जी ने, जबकि इसके भावनात्मक बोल लिखे हैं मुमताज़ राशिद ने। यह गीत प्रेम, तलाश, और जीवन के सफर का प्रतीक है, जो शहर दर शहर भटकते हुए अपने अस्तित्व की खोज करता है।
गीत के बोल और उनका अर्थ
“शहर दर शहर” के बोल जीवन की उस यात्रा को व्यक्त करते हैं, जहाँ एक व्यक्ति शहरों की भीड़ में खुद को ढूंढने की कोशिश करता है। गीत में प्रेम और विरह की भावनाएँ मिश्रित हैं, जहाँ एक प्रेमी अपने प्रिय की तलाश में एक शहर से दूसरे शहर भटकता है।
मुमताज़ राशिद के लिखे शब्द बेहद गहरे और मार्मिक हैं, जो श्रोताओं के दिलों को छू जाते हैं। गीत में जिस तरह से प्रेम और तलाश का वर्णन किया गया है, वह हर उस व्यक्ति के लिए संबंध रखता है, जिसने अपने जीवन में कभी अपने अस्तित्व या प्रेम की तलाश की हो। यह गीत जीवन के उन पहलुओं को छूता है, जो कभी-कभी बहुत ही व्यक्तिगत और गहरे होते हैं।
संगीत का जादू
जॉली मुखर्जी ने इस गीत का संगीत तैयार करते समय पारंपरिक और आधुनिक संगीत का बेहतरीन संगम किया है। गीत में तबले की ध्वनि और शास्त्रीय संगीत का प्रयोग इसे और भी खास बनाता है। उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का तबला वादन इस गीत की धड़कन है, जो श्रोताओं को एक अनोखे संगीत सफर पर ले जाता है।
संगीतकार ने शास्त्रीय धुनों के साथ गीत को एक समकालीन अनुभव देने की कोशिश की है। इसमें तबले की तेज़ ताल और हरिहरन की मधुर आवाज़ का अद्भुत मेल देखने को मिलता है। संगीत का यह संयोजन गीत के हर शब्द को जीवंत करता है और श्रोताओं को एक अनूठी ध्वनि यात्रा पर ले जाता है।
हरिहरन और उस्ताद ज़ाकिर हुसैन की गायकी
हरिहरन की आवाज़ में वह गहराई और मधुरता है, जो इस गीत के भावों को और भी जीवंत बना देती है। उनकी गायकी में जो ठहराव और संवेदनशीलता है, वह इस गीत की आत्मा को पकड़ने में सफल होती है। हरिहरन ने इस गीत को अपने अनोखे अंदाज़ में गाया है, जो गीत की भावना को और भी प्रभावी बनाता है।
वहीं, उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का तबला इस गीत को एक और ही स्तर पर ले जाता है। उनकी उँगलियों की जादुई थाप इस गीत को शास्त्रीय संगीत की बारीकियों से जोड़ती है और इसे एक अद्भुत संगीत अनुभव बनाती है। ज़ाकिर हुसैन का तबला और हरिहरन की आवाज़ मिलकर इस गीत को श्रोताओं के दिलों में बसा देते हैं।
गीत का भावनात्मक प्रभाव
“शहर दर शहर” एक ऐसा गीत है, जो श्रोताओं को अपनी गहराई में खींच लेता है। यह गीत प्रेम, तलाश, और जीवन के सफर की कहानी बयां करता है। हरिहरन की आवाज़ और ज़ाकिर हुसैन के तबले का संयोजन श्रोताओं को उस भावनात्मक सफर पर ले जाता है, जहाँ हर कोई कभी न कभी अपने अस्तित्व की तलाश में होता है।
निष्कर्ष
“शहर दर शहर” एक अद्वितीय संगीत अनुभव है, जो हरिहरन की मधुर आवाज़, ज़ाकिर हुसैन के शानदार तबला वादन, जॉली मुखर्जी के संगीत और मुमताज़ राशिद के संवेदनशील बोलों का बेहतरीन संगम है। यह गीत जीवन, प्रेम और तलाश की गहरी भावनाओं को छूता है और श्रोताओं को एक अद्भुत संगीत यात्रा पर ले जाता है।
शहर दर शहर – Shahar Dar Shahar Song Details…
- Movie/Album: हाज़िर
- Year : 1992
- Music By: जॉली मुखर्जी
- Lyrics By: मुमताज़ राशिद
- Performed By: हरिहरन, उस्ताद ज़ाकिर हुसैन
शहर दर शहर – Shahar Dar Shahar Song Lyrics
शहर दर शहर लिए फिरता हूॅं तन्हाई को
कौन सा नाम दूॅं मैं तेरी शनासाई को
शहर दर शहर…
कोई महफ़िल हो तेरा नाम तो आ जाता है
जान कर साथ लगा रखा है रुसवाई को
जिस तरफ़ जाइए है खोखले लफ़्ज़ों का हुजूम
कौन समझे यहाॅं आवाज़ की गहराई को
शहर दर शहर…
ख़ूब वाक़िफ हूॅं मैं दुनिया के चलन से ‘राशिद’
मैंने परबत नहीं समझा है कभी राई को
शहर दर शहर…