गंगा बहती हो क्यों – Ganga Behti Ho Kyon -Bhupen Hazarika
गीत का परिचय
“गंगा बहती हो क्यों” एक अत्यंत भावनात्मक और प्रेरणादायक गीत है जिसे देश और समाज की विभिन्न समस्याओं को उठाने के लिए रचा गया है। यह गीत हमें सोचने पर मजबूर करता है कि समय के साथ हम क्यों और कैसे अपनी मूल भावनाओं और जिम्मेदारियों से दूर होते जा रहे हैं। इसे भूपेन हज़ारिका, कविता कृष्णमूर्ति, हरिहरन और शान जैसे महान गायकों ने अपनी आवाज़ दी है, जो इसे एक अद्वितीय पहचान देते हैं।
गंगा बहती हो क्यों – Ganga Behti Ho Kyon Song Details…
- Lyrics By: नरेन्द्र शर्मा (हिन्दी)
- Performed By: भूपेन हज़ारिका, कविता कृष्णमूर्ति, हरिहरन, शान
गंगा बहती हो क्यों – Ganga Behti Ho Kyon Song Lyrics in Hindi
औशोमिया (Assamese)
बिस्तिर्नो पारोरे, ओखोंक्यो जोनोरे
हाहाकार खुनिऊ निशोब्दे निरोबे
बुरहा लुइत तुमि, बुरहा लुइत बुआ कियो?
हिन्दी
विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार
करे हाहाकार निःशब्द सदा
ओ गंगा तुम
ओ गंगा बहती हो क्यूँ?
नैतिकता नष्ट हुई, मानवता भ्रष्ट हुई
निर्लज्ज भाव से बहती हो क्यूँ?
इतिहास की पुकार, करे हुंकार
ओ गंगा की धार
निर्बल जन को
सबल-संग्रामी, समग्रोगामी
बनाती नहीं हो क्यूँ?
अनपढ़ जन अक्षरहिन
अनगीन जन खाद्यविहीन
नेत्रविहीन दिक्षमौन हो क्यूँ?
इतिहास की पुकार…
व्यक्ति रहे व्यक्ति केंद्रित
सकल समाज व्यक्तित्व रहित
निष्प्राण समाज को छोड़ती ना क्यूँ?
इतिहास की पुकार…
रुदस्विनी क्यूँ न रहीं?
तुम निश्चय चितन नहीं
प्राणों में प्रेरणा देती ना क्यूँ?
उनमद अवमी कुरुक्षेत्रग्रमी
गंगे जननी, नव भारत में
भीष्मरूपी सुतसमरजयी जनती नहीं हो क्यूँ?
विस्तार है अपार…
गंगा बहती हो क्यों – Ganga Behti Ho Kyon Video Song…
बड़े फूड और