ये बम्बई शहर हादसों का – Ye Bombay Sheher Haadson Ka – Amit Kumar
ये बम्बई शहर हादसों का शहर है: एक परिचय
क्या आपने कभी ऐसा गीत सुना है जो किसी शहर की हकीकत को बयां करता हो? ‘ये बम्बई शहर हादसों का शहर है’ ऐसा ही एक गीत है। यह गाना 1983 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘हादसा’ का हिस्सा है और अपने समय में यह काफी लोकप्रिय हुआ था।
मुख्य पात्र और उनके किरदार
फिल्म ‘हादसा’ में मुख्य पात्र हैं – अमर और सीमा। अमर एक साहसी और निडर युवक है जबकि सीमा एक समझदार और संवेदनशील लड़की है। दोनों के बीच का संबंध इस फिल्म की कहानी का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
फिल्म की कहानी और थीम
फिल्म की कहानी बंबई शहर के संघर्ष और वहाँ के आम जनजीवन के इर्द-गिर्द घूमती है। यह फिल्म दर्शाती है कि कैसे बंबई शहर में हादसे और दुर्घटनाएँ आम बात हैं और लोग किस तरह से इनका सामना करते हैं।
गीत का संगीत और धुन
‘ये बम्बई शहर हादसों का शहर है’ गीत का संगीत बहुत ही प्रभावशाली है। इसकी धुन आपको बंबई शहर की सड़कों पर ले जाती है और वहाँ के जीवन का अनुभव कराती है।
गीत के बोल और उनकी गहराई
इस गीत के बोल भी बहुत ही सटीक और गहरे हैं। “ये बम्बई शहर हादसों का शहर है, यहाँ कोई नहीं किसी का” जैसे बोल हमें बंबई की सच्चाई से रूबरू कराते हैं।
संगीतकार की प्रतिभा
इस गीत के संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी हैं, जिन्होंने इस गाने को अपनी अनोखी शैली में तैयार किया है। उनकी प्रतिभा और संगीत की समझ इस गीत में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
ये बम्बई शहर हादसों का शहर है
ये बम्बई शहर हादसों का – Ye Bombay Sheher Haadson Ka, Song Details…
- Movie/Album: हादसा
- Year : 1983
- Music By: कल्याणजी-आनंदजी
- Lyrics By: एम.जी.हशमत
- Performed By: अमित कुमार
ये बम्बई शहर हादसों का – Ye Bombay Sheher Haadson Ka Lyrics in Hindi
हे, ये बम्बई शहर हादसों का शहर है
यहाँ ज़िन्दगी हादसों का सफ़र है
यहाँ रोज़-रोज़ हर मोड़-मोड़ पे
होता है कोई न कोई
हादसा, हादसा…
यहाँ की ख़ुशी और गम हैं अनोखे
बड़े खूबसूरत से होते हैं धोखे
बहुत तेज़ रफ़्तार है ज़िन्दगी की
है फुर्सत किसे कोई कितना भी सोचे
ख़ुशी हादसा है, गम हादसा है
हकीकत भुला कर हर इक भागता है
यहाँ रोज़-रोज़ की भाग-दौड़ में
होता है कोई न कोई
हादसा, हादसा…
यहाँ आदमी आसमां चूमते हैं
नशे में तरक्की के सब झूमते हैं
हरी रौशनी देख भागी वो कारें
अचानक रुकी फिर से बन के कतारें
यहाँ के परिंदों की परवाज़ देखो
हसीनों के चलने का अंदाज़ देखो
यहाँ हुस्न इश्क की आब-ओ-हवा में
होता है कोई न कोई
हादसा, हादसा…